"THINK RICH LOOK POOR"

Thought of the day....

Things that are done,it is needless to speak about: Things that are past it is needless to blame.....

Sunday, May 16, 2010

चलो आज २००० शादिया है वोह भी DELHI मे.....










और ना जाने कितनी मोटर भी हो.... अरे यह कोई दह्रेज तोड़ी ना है यह तो हर माँ बाप अपनी कन्या को देते हे है सात फेरो की रकम ना समजना जनाब यह तो माँ बाप का प्यार होता है जिस का फायदा आज के ज़माने मे काफी लोग उठा लेते है और माँ बाप तो बेटी के  घर के लिए बोहोत सारे उपहार भी देंगे ही.अरे पुरानी समय मे गये,घोड़े, दिए जाते थे और आज इन की जगह मोटर,कार,सोना,प्लाट.नि ले ली है.अरे ज़माना बदल रहा है बस हमारी कल्पना नहीं बदल रही है....वही पुराणी सोच दह्रेज देंगे तो बेटी खुश रहेगी वरना उसका जीवन कटीं हो जायेगा....





दह्रेज तो हम लोगो से ही बनता है,माँ बाप अपना मन मार मार कर एक रकम जोड़ते है और कोई सयाना कौवा सब कुछ ले जाता है और साथ मे बेटी भी ले जाता  है. कमाल की बात ऐसा तो स्रिफ गाँव मे होता हो तो आप गलत सोचते है अरे हर जगह यह हाल है ,यह साँप हे ऐसा है की हर लड़के के गले मे लटका हुआ है शिव शंकर भगवन वाले साँप की तरह मगर दोनों सापो मे ज़मीन और पहाड़ जैसा अंतर है...भला  लड़का तो हमेशा यह कहेता है" देना है दे दो वैसे हमारे घर मे किसी वास्तु की कमी नहीं" ,आप को देना है जो भी वोह अपनी कन्या को दे देना,बस यह दो बाते और माँ बाप का दिल बिलकुल emotional हो जाता है .....






















                                                                        












Saturday, May 15, 2010

बस अब गरीबी जाने वाली ही है देश से , यह सुनते सुनते उम्र के ७० बरस गए....



बस अब गरीबी जाने वाली ही है देश से ,
यह सुनते सुनते उम्र के ७० बरस गए....
कफ़ी आज़मी.

कफ़ी दिन हुए की मै अपने आप से अक्सर यह पुच जाता की यह लोग कैसे २० रुपए मे अपना दिन गुज़र लेते है,
अगर मै होता थो यह कभी नहीं कर पाता.. 

मुझे इन सब बातो से करना भी क्या है भला मेरे घर मै थो २ वक़्त का खाना है और जिंदगी मजे मै चल रही है,मगर खुद से नजर नहीं मिला पाता जब इन लोग का  सामना होता है मेरा फूटपाथ मे..
जब कोई रिक्क्षा वाला मुझ से २० रुपए मांग लेता है थो मेरा खून जल जाता है भला क्यूँ न जले वोह भला कोई सरकारी बाबु थोड़ी है जिस को मे खुशी खुशी टेबल के नीचे से कुछ नोट या कुछ रुपए के बण्डल दे दू , अरे साहब यह लोग मेहनत करते है बस यह सरकारी बाबु नहीं है जिन पर मे हमेशा मेहरबान रहू...



यह तो मेरे देश का गरीब तपका है जिस को हर कोई नाराज़ अंदाज़ करता है तो भला मे क्यूँ ना करू...

हाँ अगर यह गरीब सरकारी बाबु होते तो मे भी इन की उतनी ही खातिरदारी करता जितनी कभी किया करता हु..

एक युग का अंत ....श्री भैरों सिंह शेखावत का निधन ....

भैरों सिंह (23 अक्टूबर 1923 जन्म शेखावत - मई 15, 2010 को इस दुनिया को छोड़ गए ) 11 उप भारत के राष्ट्रपति थे. वह अगस्त 2002, जब वह निर्वाचक मंडल द्वारा कृष्णकांत की मृत्यु के बाद एक पांच साल का कार्यकाल के लिए चुने गए में से है कि स्थिति में सेवा की है, जब तक वह 21 जुलाई, 2007 को प्रतिभा पाटिल को राष्ट्रपति पद के चुनाव हारने के बाद इस्तीफा दे दिया. शेखावत ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पार्टी, चुनाव के समय में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के प्रमुख सदस्य के एक सदस्य था. वह तीन बार राजस्थान राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में सेवा, 1977 1980 से, 1990 तक 1992 के लिए, और 1993-1998....




उसके पिता का नाम श्री देवी सिंह शेखावत था और उसके माता श्रीमती बन्ने कंवर थी  वह खाचारिअवास  के गांव में पैदा हुआ थे. राजस्थान में सीकर जिले में है. वह श्रीमती सूरज कंवर की शादी है और वे एक बेटी श्रीमती रतन कंवर, जो श्री नरपत सिंह राजवी, राजस्थान के वरिष्ठ भाजपा नेता और सरकार में एक पूर्व कैबिनेट मंत्री से शादी कर रहा है. राजस्थान की. वे तीन मूमल राजवी, बेटी और विच्क्रमादित्य सिंह राजवी, अभिमन्यु सिंह राजवी-बेटों बच्चे हैं.....











Friday, May 14, 2010

कहेने को है की पानी कम है मगर जो है उस की कदर तो करे जनाब.

कहेने को है की पानी कम है मगर जो है उस की कदर तो करे जनाब......


हमारे देश मे पानी काफी अहम मुद्दों मे से एक है मगर ऐसा कम  देखा गया है की किसी नेता ने इसह मुद्दे को संसद मे उठा पाने की जमायत की हो..




सबसे पहेली तस्वीर अगर हम आप को दिखाना चाहे तो पहेले कुछ इस तरह से उभर कर सामने आती है ......
सरकार दावा करती है की ग्लासिएर बिलकुल सुरशित है ,मगर एक तस्वीर आप को सीदा दिखा थे जो दिल्ली की है जी हाँ सीदा राजधानी से जहाँ एक आम आदमी पानी के लिए कितना  कितना सुरशित है.....





जब राजधानी का यह हाल है तो सोच लेना ही काफी होगा की पुरे देश मे क्या हाल होगा.....
मगर यह मुद्दा इतना अहम नहीं है,जितना की संसद को रोज भंग करना ,या सीदा मे कहे तो रुकावट पैदा करना पर भला कोई कर भी क्या सकता है...हमारा काम तो बस वोट डालनी तक ही  सीमित रहे गया है.....

अब  आप को एक तस्वीर और दिखा जाते है ,जाते जाते मगर जरा ध्यान से और समाज को अब  समज लेने की जरुरत है की अभी भी बाजी वोटर के हाथ मे ही है बस मौका मिलने के देरी है......



तो सोचना  होगा की अब  करना क्या है ........



अगर साइडइफेक्ट देखे जाये तो बोहोत होते है मगर यहाँ मामला जरा राजनीती के स्तर  उपर उत्ता ने का है ... जिस के   कल्पना भी नहीं की जा सकती आज राजनीती उस स्तर तक चले गयी है...

बिलकुल कफ़ी आज़मी की कुछ पंतियो के साथ  अब हम विदा लेते है.....


बस्ती जो अपनी हिन्दू मुसलमान जो बस गए ......
  इंसान की तस्वीर देखेने को हम तरश गए....
  कफ़ी आज़मी

सब खेल है भैया मगर जरा देख कर देखना

कुछ समय पहेले एक नाटक आया करता था फ्लॉप शो,हाँ अगर आप को याद होगा, जसपाल भट्टी जी इस नाटक के जरिये  आम लोगो की परेशानी को दिखाया करते थे, नाटक काफी पोपुलर भी रहा और आज भी है,मगर आज का जसपाल भट्टी भी खो  गया है क्युकी जो सन्देश वोह अपने नाटको के जरिये लोगो तक,सरकार तक,ले जाना चाहते थे वो आज की रंगीन स्क्रीन मे नहीं दिखाई देता .....


मौजूदा हाल मे कहे तो इस की जगह रिअलिटी शो ने ले ली  है,मगर जसपाल भट्टी साहब भी सच दिखा जाते थे अपने हिसाब से ...


मगर आज की मौजूदा हालत तो यही बयां करते है की जनाब लोगो को खुश रखना है तो वही दिखाओ जहाँ हमारा भी फायदा हो और देखेने वाले दर्शको का भी....


अगर एक दो न्यूज़ चानेल को छोड़ दे तो बाकि भी वही दिखाते जो दर्शको को मनोरन्ज लगे ,मगर जब खुद की बात आती है तो तस्वीर बिलकुल उलट जाती है ....


अगर बात किसी की भी करे चाहे वोह क्रिकेट हो या कोई रिअलिटी शो सब पर दर्शको की भरी भीड़ है ,कहीं TRP इतनी जयादा है की एक विज्ञापन को दिखने के लिए कंपनी भरी पोसे लगाने को तैयार है क्युकी सब खेल है TRP का.....

यहाँ जवान का माकन हों यह मेरा मेरा माकन

यहाँ जवान का माकन हों यह मेरा मेरा माकन ,
किसी को परवा नहीं ,ऐसा हों गया है जहान......

रोहित ध्यानी. 

यह हमारा २१ सदी का दुर्भय कहे या हमारी नासमज तो इस बात से मुझे बिल कूल भी ऐतराज़ ना होगा बल्कि अगर आप ऐसा सोचे तो मुझे बेहद खुसी होगी कम से कम आप ने सोचा तो सही .....

दरसल बात स्रिफ इतनी सी  फ़िक्र की  है की हम लोगो के पास बिलकुल भी वक़्त नहीं है उन जवानों को देनो को जिस जवान ने अपनी बेहद कीमती जान दी है स्रिफ हम लोग को जीवन दान दान देने के लिए .........

हाँ मुझ को तो बिलकूल भी वक़्त नहीं है उन जवानों के घर जाने के लिए क्युकी यहाँ अपनी भी तो जिंदगी जीनी है ,
मगर मुझे बेहद अफोश है इस बात का की  मै वहां जाने मै आसमत हू जहान मुझे जाना था ...

यह वक़्त हे ऐसा है की हम बोहोत जल्दी हर बात को भूल जाते है और मशरूफ हों जाते है अपनी जिंदगी जीने मै खास्स्कर मै .....
मगर अक्सर यह ख्याल आता है , की जिन जवानों ने मेरे लिए अपनी जान कुर्बान की है मैंने उस के लिए क्या किया है , नाही  सरकार ने कुछ किया होगा वोह तो बस किताबी बाते है की एलान कर दिया जाता है की हर जवान को फेलाना रकम दी जाएगी ,
मगर मै भले भाती जानता हू किस को क्या मिलता है , जनाब आप कैसे भूल सकते २६/११ (26/11) का वो मुद्दा जो आज भी ताजा है,मगर हमको पता यह सरकारी दुनिया कितनी और कैसे चलती है....

जैसे 76 सीआरपीएफ जवान माओवादियों के बारुदी सुरंग की चपेट में आकर सवा महीने पहले शहीद हुये थे,
वैसे ही कहीं उनकी जीवन भर की फाइल कहीं दबा दी होगी इन सरकारी करमचारियो ने भला यह भी क्यूँ सरदर्दी पाले मुद्दा कभी कुछ बोलते है,और जो जवान यह सोच कर अपने प्राण देता है की अपने देश को बचा कर जा रहा हू सो उस को एक बात  सोच लेनी होगी की अगर ऐसा सरकारी काम चलता रहा तो एक दिन इस देश के सेना को जवानों की कमी ना पड जाये .....

माओवादियों से मुझे कोई गिला नहीं है जो उन की मांगे है उन पर सरकार विचार भी कर सकती है मगर मेरे पास ऐसी कोई गारंटी भी नहीं है की उन के आर्मसमर्पण करने से सरकार उनका साथ देगी भी या स्रिफ अपना भोलाभाला जवाब देगी की अभी टाइम लगेगा और इतने मै कितनो की जिंदगी क्या से क्या हों जाएगी ....


अब समय आ गया की हम लोगो को फ़ौरन कदम लेना होगा,चाहे वो किसी के हक मे भी हों ......



कहीं ऐसा ना हों की समय हम को कहीं दूर छोड़ जाये और हम लोग कहीं माओवादियों से युद कर कर अपने जवान खोते रहे..

Thursday, May 13, 2010

कुछ भी हो यह सबसे बड़ा लोकतन्त है .

                                             

अभी हाल का मुद्दा ले लियिजे बीजेपी के एक नेता जी ने कुछ ऐसे टिपणी की आचानक से देश की राजनीती मे इतनी तेजी आ गयी जैसे किसी नेता ने संसद मे गरीब की आवाज बुलंद कर दी हो,मुझे कुछ समझ मै नहीं आया की आचानक से इतना जोश दिखा पटना की सडको मै जैसे हर कोई आदमी एक ऐसा मुद्दा ढूंड रहा हो जिस से वह दूर तक ले जाये,भला वह अपने मुद्दों के क्यूँ नहीं  इतना जोशशोर से  दिखा सकते मगर यह लोकतन्त देश है यहाँ ऐसे ही मुद्दो की तलाश रहेती है.

मुझे आज भी याद वोह दिन जब एक कवी ने यह बात भी कही थी.....

बस अब गरीबी जाने वाली ही है देश से ,
यह सुनते सुनते उम्र के ७० बरस गए....

       कैफ़ी आज़मी


जी हाँ यह वही कवी है जिन को आप कैफ़ी आज़मी  के नाम से जानते है,आज की राजनीति एक ऐसे मोड़ मै आ कर रूक   गयी  , जहाँ बस एक ही काम रहे जाता है वह है एक दुरसे के उपर आरोप पात्यारोप लगाना,क्यों नहीं अगर कोई नेता किसी पर दो टूक बोलता है थो उस को मीडिया उजागार भी करती है और हमारे नेता जी को कैमरा मै आने का एक बेतरीन मौका मिलता है.....
जिस को बोहोत ही आराम से पा भी लेते है....
क्यूकि यह संसार का सबसे बड़ा लोक्तानिक देश है तो यहाँ के नेता भी काम करते होगे, मगर यहाँ आ कर  तस्वीर बिलकुल उलट जाती है,आज भी देश के कही जगह ऐसी है जहाँ हर दिन १०० किस्सान आम्ताम्हात्य कर रहा  है,मगर उस की आवाज़ कम ही कोई बुलंद करता हो ऐसा मैंने भी देखा है ,हाँ अगर मसला "IPL " तो बात अलग है,जब तो यह मुद्दा संसद मे बोहोत जोरशोर से सुने मे आ सकता है ,दरअसल मीडिया इस को तवोज नहीं देती,एक और बात है की ऐसे मौका मीडिया को मिलता भी नहीं है क्यूकि कोई नेता ऐसा कुछ हाल के दिनों मै कर भी नहीं पाता है, यह मेरे लिए तो सपन जैसा होगा जब जेपी जैसे नेता दुबारा उभर कर इस मुल्क मै आयेंगे .....

मगर मै अगर कहू की एक इंसान ऐसा भी है जो मीडिया के डंके की चोट मै सच दिखा जाता  है सो मेरा यह नाम लेना बिलकुल भी गलत नहीं होगा वह है श्री  पुण्य प्रसून बाजपेयी जी .....

श्री  पुण्य प्रसून बाजपेयी जी  अपने १९ मिनट के बड़ी बात के कार्यकर्म  मे यह जनाब हर बात को इतनी आसनी से कह जाते है जैसे यह सब जानते हो की देश मै कहाँ तस्वीर गलत है और कहाँ सही....