यहाँ जवान का माकन हों यह मेरा मेरा माकन ,
किसी को परवा नहीं ,ऐसा हों गया है जहान......
रोहित ध्यानी.
यह हमारा २१ सदी का दुर्भय कहे या हमारी नासमज तो इस बात से मुझे बिल कूल भी ऐतराज़ ना होगा बल्कि अगर आप ऐसा सोचे तो मुझे बेहद खुसी होगी कम से कम आप ने सोचा तो सही .....
दरसल बात स्रिफ इतनी सी फ़िक्र की है की हम लोगो के पास बिलकुल भी वक़्त नहीं है उन जवानों को देनो को जिस जवान ने अपनी बेहद कीमती जान दी है स्रिफ हम लोग को जीवन दान दान देने के लिए .........
हाँ मुझ को तो बिलकूल भी वक़्त नहीं है उन जवानों के घर जाने के लिए क्युकी यहाँ अपनी भी तो जिंदगी जीनी है ,
मगर मुझे बेहद अफोश है इस बात का की मै वहां जाने मै आसमत हू जहान मुझे जाना था ...
यह वक़्त हे ऐसा है की हम बोहोत जल्दी हर बात को भूल जाते है और मशरूफ हों जाते है अपनी जिंदगी जीने मै खास्स्कर मै .....
मगर अक्सर यह ख्याल आता है , की जिन जवानों ने मेरे लिए अपनी जान कुर्बान की है मैंने उस के लिए क्या किया है , नाही सरकार ने कुछ किया होगा वोह तो बस किताबी बाते है की एलान कर दिया जाता है की हर जवान को फेलाना रकम दी जाएगी ,
मगर मै भले भाती जानता हू किस को क्या मिलता है , जनाब आप कैसे भूल सकते २६/११ (26/11) का वो मुद्दा जो आज भी ताजा है,मगर हमको पता यह सरकारी दुनिया कितनी और कैसे चलती है....
जैसे 76 सीआरपीएफ जवान माओवादियों के बारुदी सुरंग की चपेट में आकर सवा महीने पहले शहीद हुये थे,
वैसे ही कहीं उनकी जीवन भर की फाइल कहीं दबा दी होगी इन सरकारी करमचारियो ने भला यह भी क्यूँ सरदर्दी पाले मुद्दा कभी कुछ बोलते है,और जो जवान यह सोच कर अपने प्राण देता है की अपने देश को बचा कर जा रहा हू सो उस को एक बात सोच लेनी होगी की अगर ऐसा सरकारी काम चलता रहा तो एक दिन इस देश के सेना को जवानों की कमी ना पड जाये .....
माओवादियों से मुझे कोई गिला नहीं है जो उन की मांगे है उन पर सरकार विचार भी कर सकती है मगर मेरे पास ऐसी कोई गारंटी भी नहीं है की उन के आर्मसमर्पण करने से सरकार उनका साथ देगी भी या स्रिफ अपना भोलाभाला जवाब देगी की अभी टाइम लगेगा और इतने मै कितनो की जिंदगी क्या से क्या हों जाएगी ....
अब समय आ गया की हम लोगो को फ़ौरन कदम लेना होगा,चाहे वो किसी के हक मे भी हों ......
कहीं ऐसा ना हों की समय हम को कहीं दूर छोड़ जाये और हम लोग कहीं माओवादियों से युद कर कर अपने जवान खोते रहे..
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