चलो आज काफी अच्छा दिन था की २००० शादिया है वोह भी राजधानी मे ही...
अभी बस एक ख्याल आया दिमाग मे की कल से कितने और वाहन सडको मे उतर जायेंगे,अरे जनाब आब २००० शादिया है तो कम से कम ६०० कार तो दह्रेज मे जाएगी ना..
और ना जाने कितनी मोटर भी हो.... अरे यह कोई दह्रेज तोड़ी ना है यह तो हर माँ बाप अपनी कन्या को देते हे है सात फेरो की रकम ना समजना जनाब यह तो माँ बाप का प्यार होता है जिस का फायदा आज के ज़माने मे काफी लोग उठा लेते है और माँ बाप तो बेटी के घर के लिए बोहोत सारे उपहार भी देंगे ही.अरे पुरानी समय मे गये,घोड़े, दिए जाते थे और आज इन की जगह मोटर,कार,सोना,प्लाट.नि ले ली है.अरे ज़माना बदल रहा है बस हमारी कल्पना नहीं बदल रही है....वही पुराणी सोच दह्रेज देंगे तो बेटी खुश रहेगी वरना उसका जीवन कटीं हो जायेगा....
अरे जब तक ऐसे माँ बाप रहेंगे तो जब तक तो कोई माँ का लाल यह दह्रेज का साँप मार नहीं सकता.... ना जाने कितने माँ बाप होंगे जो यह चाहेगे की उनकी कन्या सड़क मे पैदल ना चले,जिस घर मे जा रही है वहाँ लोग यह बोले की बहु दह्रेज मे कार लायी है,यह सोच सोच कर ना जाने कितने माँ बाप खुश होते होंगे ....
दह्रेज तो हम लोगो से ही बनता है,माँ बाप अपना मन मार मार कर एक रकम जोड़ते है और कोई सयाना कौवा सब कुछ ले जाता है और साथ मे बेटी भी ले जाता है. कमाल की बात ऐसा तो स्रिफ गाँव मे होता हो तो आप गलत सोचते है अरे हर जगह यह हाल है ,यह साँप हे ऐसा है की हर लड़के के गले मे लटका हुआ है शिव शंकर भगवन वाले साँप की तरह मगर दोनों सापो मे ज़मीन और पहाड़ जैसा अंतर है...भला लड़का तो हमेशा यह कहेता है" देना है दे दो वैसे हमारे घर मे किसी वास्तु की कमी नहीं" ,आप को देना है जो भी वोह अपनी कन्या को दे देना,बस यह दो बाते और माँ बाप का दिल बिलकुल emotional हो जाता है .....
भला मे एक सवाल सोचता हु की जो कन्या अनाथ होती है उनकी शादिया नहीं होती क्या?
वोह तो कभी भी इतना दह्रेज उत्पन नहीं कर सकती मगर उन का जीवन भी बोहोत कठीन होता है,जरा जरा सही बात मे ताने...अरे जनाब मोटा दह्रेज देंगे तो आपकी कन्या को कम से कम ताने तो नहीं सुन ने पड़ेगे....
उस का एक रुतबा होगा हर कोई उस को समान देगा....
अगर नहीं दिया मोटा दह्रेज तो बस जरा जरा सही बात मे घर मे महाभारत ...वैसे भी इस समाज मे बोहोत से रावन है वोह भी एक नहीं दस सर वाले...बस मुखोटे फेने घूमते है घर से बाहर और घर के अंदर वही हाल....
दह्रेज एक साँप है जो हर पल बढता ही जा रहा है,अरे हम भी जानते है यह साँप देना ही पडता है,मगर हर पल यही सोच कर मारा जाता हू ...की जब मेरी कन्या की बरी आएगी तो
"मे इतने पैसे कहाँ से जुटा पाउँगा ,
दह्रेज की मांग कर तो तुम चले आये.....
अपनी कन्या उस लड़के को कैसे दे पाउँगा,
जो मेरी बेटी की कीमत पैसो मे लगा आये .....
रोहित ध्यानी ....
सोच लेना मगर यह साँप मेरी बेटी की शादी से फेले मर जाये तो बेहद खुशी होगी...अनाथा इसही तरह हर बेटी की बाप की इज्ज़त खुले आम नीलाम होती रहेगी.....
मार डालो इस साँप को और नया दौर मे नया सोचो......
बदल दो हालत और औरत को अपने बराबार सोचो.....
awesome dil bohot khush hua
superb.....
Its true .......d hard reality of our society ,But we will cahnge it wen our time will come .. :P
It is a burning topic which clicks in our minds who are parents of a daughter.nicely written.Asha
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
thanks Asha ji,i agree with your point of view ...then i wrote these lines....."मे इतने पैसे कहाँ से जुटा पाउँगा ,दह्रेज की मांग कर तो तुम चले आये.....अपनी कन्या उस लड़के को कैसे दे पाउँगा,जो मेरी बेटी की कीमत पैसो मे लगा आये ..... रोहित ध्यानी ....
thanks to nilesh ji ..i read your bold also you write well n heart touching..
thanks srishti its reality...
very rightly said........
such a rich language Rohit :)))
nice re... really good dear..
HAMESA KUCHH JYADA KARNA CHAHIYE TAAKI THODA TO HO PAAYE. ISILIYE, PAHLE AURTO KO APNE SE BHI JYADA (PURUHSO SE BHI UPAR) TAWJOO DENE KI BAAT KI JAY TAB JAKE WO BARBARI PAR AA SAKTI HAI.
बहुत बढ़िया प्रस्तुति....मेरे ब्लॉग पर आने का शुक्रिया ...http://geet7553.blogspot.com/http://gatika-sangeeta.blogspot.com/
all my love for you today my dear friend Rohit :))
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14 comments:
awesome dil bohot khush hua
superb.....
Its true .......
d hard reality of our society ,
But we will cahnge it wen our time will come .. :P
It is a burning topic which clicks in our minds who are parents of a daughter.
nicely written.
Asha
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
thanks Asha ji,i agree with your point of view ...
then i wrote these lines.....
"मे इतने पैसे कहाँ से जुटा पाउँगा ,
दह्रेज की मांग कर तो तुम चले आये.....
अपनी कन्या उस लड़के को कैसे दे पाउँगा,
जो मेरी बेटी की कीमत पैसो मे लगा आये .....
रोहित ध्यानी ....
thanks to nilesh ji ..
i read your bold also you write well n heart touching..
thanks srishti its reality...
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HAMESA KUCHH JYADA KARNA CHAHIYE TAAKI THODA TO HO PAAYE. ISILIYE, PAHLE AURTO KO APNE SE BHI JYADA (PURUHSO SE BHI UPAR) TAWJOO DENE KI BAAT KI JAY TAB JAKE WO BARBARI PAR AA SAKTI HAI.
बहुत बढ़िया प्रस्तुति....
मेरे ब्लॉग पर आने का शुक्रिया ...
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